भगवान को 56 भोग क्यों लगाए जाते हैं ?

आपने अक्सर सुना होगा की भगवान को 56 भोग लगाए जाते हैं , लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा है की ऐसा क्यों है की भगवान को पूरे 56 भोग लगाए जाते हैं , 55 या 57 भोग क्यों नहीं ? आज हम इसी के बारे मेँ विस्तार से बात करेंगे ।

 
हिन्दू धर्म मेँ मूर्ति पूजा का विशेष महत्व है और लगभग हर देवी और देवता की हिन्दू धर्म मेँ मूर्ति पूजा की जाती है और इसी के साथ मेँ भगवान को भोग भी लगाया जाता है । भोग लगाने मेँ , पूजा करने मेँ और ईश्वर का समरण करने मेँ लोगों की अटूट आस्ता है और भगवान श्री कृषणा को सभी आस्तिक 56 भोग लगाते हैं। 

माना जाता है की माता यशोदा श्री कृषणा को प्रतिदिन आठ बार भोजन कराती थीं और हर बार अलग - अलग पकवान खिलाती थीं ।जब इंद्रदेव ने भयंकर बारिश की थी तो भगवान श्री कृषणा ने गाँव वालों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को उठा लिया था । यह भयंकर बारिश पूरे सात दिन तक चलती रही थी और भगवान श्री कृषणा ने गोवर्धन पर्वत  को लगातार सात दिन तक अपनी उंगली पर उठाए रखा था और इन सात दिनों मेँ  उन्होंने कुछ भी नहीं खाया था । 

जब सात दिन बाद बारिश रुक गई तो उन्होंने गोवर्धन पर्वत को नीचे रख दिया था । इसके बाद माता यशोदा ने उनके लिए सात दिन का भोजन एक साथ बनाया और उनके सामेन परोस दिया और यह भोजन होता था 7 x 8 = 56 , यानी छप्पन प्रकार का भोजन । इसीलिए भगवान कृषणा को छप्पन भोग लगाए जाते हैं । 

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